केकड़ी, 15 जून (आदित्य न्यूज नेटवर्क): श्रुत संवेगी मुनि आदित्य सागर महाराज ने कहा कि दुनिया में कोई भी ऐसा सफल व्यक्ति नहीं है, जिसने सफलता के पहले असफलता और मुसीबत का सामना न किया हो। अगर आप मुसीबत से भाग रहे हैं, तो आप नई मुसीबत को बुला रहे हैं। यदि आप सफलता प्राप्त कर चुके हैं, तो सरलता भी जरूर लाएं, क्योंकि नीतिकार कहते हैं कि जो सफल होने के बाद सरल नहीं हो पाता, वह असफल ही समझा जाता है। इसलिए सफल होने के बाद सरल होने में अपनी समझ जरूर लगाएं। वे ग्रीष्मकालीन प्रवचनमाला के तहत शनिवार को दिगम्बर जैन चैत्यालय भवन में प्रवचन कर रहे थे।

खानपान शुद्ध रखना जरूरी उन्होंने कहा कि सुविधा और दुविधा जीवन के सबसे बड़े अभिशाप हैं। सुविधाओं का जीवन जीने वाले सबके प्रिय नहीं बनते और दुविधाओं का जीवन जीने वालों को कोई प्रिय नहीं लगता। कपड़े और खाना शुद्ध रखना, मगर वाणी और मन अशुद्ध रखना, खराब लोगों की निशानी है। जिनके शब्द अच्छे नहीं होते, उनका भविष्य भी अच्छा नहीं होता। धर्मसभा के प्रारम्भ में पदमकुमार, पवनकुमार, प्रमोद कुमार व भाविक सोनी परिवार ने आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलन किया तथा कैलाशचंद, पदमकुमार, सुरेंद्रकुमार, राजेंद्र कुमार व देवेंद्र सोनी परिवार ने मुनि आदित्यसागर महाराज व मुनिसंघ के पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट किए।

आचार्यश्री का केकड़ी में हुआ मंगल प्रवेश धर्मनगरी केकड़ी शनिवार को श्रद्धा व भक्ति से ओतप्रोत होकर आध्यात्मिक रंग में रंग गई। सुबह दिगम्बर जैन आम्नाय के तीस से अधिक मुनियों व आर्यिकाओं ने नगर में मंगल प्रवेश किया। यह अवसर था दिगम्बर जैन आचार्य सुंदर सागर महाराज के ससंघ केकड़ी आगमन का। छोटा शाहपुरा की ओर से पैदल विहार करते हुए मुनिसंघ सुबह सात बजे यहां कादेड़ा रोड़ चौराहे पर पहुंचा, जहां उनकी अगवानी के लिए स्थानीय दिगम्बर जैन समाज के महिला-पुरुष उमड़ पड़े। मुनिसंघ को ढोल-बाजों के साथ धूमधाम से शोभायात्रा जुलूस के रूप में नगर में मंगल प्रवेश कराया गया। यह जुलूस बस स्टेंड, अजमेरी गेट, घंटाघर, जूनियां गेट होता हुआ सापण्दा रोड़ स्थित नेमिनाथ मंदिर पहुंचकर सम्पन्न हुआ। जुलूस के दौरान केकडी में पहले से ही विराजमान मुनि आदित्य सागर महाराज ने भी संघ के साथ यहां तीनबत्ती तिराहे के समीप बालिका स्कूल के बाहर पहुंचकर आचार्य सुन्दर सागर महाराज व संघ की अगवानी की।

विद्वत संगोष्ठी में प्रस्तुत की व्याख्याएं शनिवार को दोपहर दिगम्बर जैन चैत्यालय भवन में दो दिवसीय श्रावकाचार अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। आचार्य सुंदर सागर महाराज ससंघ एवं मुनि आदित्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में आयोजित इस संगोष्ठी में देश के कई मूर्धन्य विद्वानों ने भाग लिया। संगोष्ठी के अंतर्गत संयोजक बड़ौत के डॉ श्रेयांश कुमार जैन ने गुरु का महात्म्य, रजवास के पंडित विनोद कुमार जैन ने अभिषेक और शांति धारा, दिल्ली के डॉ धर्मेंद्र ने शील और उपवास, जयपुर के डॉ अनिल प्राचार्य ने दान की उपयोगिता, दिल्ली के डॉ अनेकांत कुमार जैन ने पूज्य, पूजक और पूजन विषय पर, शाहगढ़ के डॉ आशीष कुमार जैन ने देव पूजा के अनिवार्य अंग विषय पर, ललितपुर के डॉ सुनील कुमार जैन ने दान का सार्थक स्वरूप एवं पनपती विकृतियों के बारे में, इंदौर के डॉ पंकज जैन ने तप का स्थान, सनावद के पंडित राजेंद्र कुमार जैन ने दान में बोलियों की भूमिका के बारे में, जयपुर के पंडित शीतल चंद्र जैन ने अविरत सम्यक दृष्टि का सदाचार एवं जयपुर के ही डॉ श्रेयांश जैन सिंघई ने स्वाध्याय की भूमिका के बारे में व्याख्या प्रस्तुत की।