केकड़ी (आदित्य न्यूज नेटवर्क) जैन आचार्य रामलाल महाराज ने कहा कि शुद्ध भाव के साथ की जाने वाली क्षमा याचना सदैव आत्मिक शांति प्रदान करती हैं। क्षमा याचना वैर, विरोध व विघटन की दीवारों को तोड़ती हैं तथा हृदय में मैत्री व प्रेम का संचार करती हैं। वे यहां देवगांव गेट स्थित गोशाला सत्संग भवन में होली चातुर्मास के अवसर पर प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इंसान सिर्फ दिखावे की जिंदगी जी रहा है। क्षमा मांगने व क्षमा करने का भी सिर्फ ढोंग कर रहा है। अन्त:करण से क्षमा मांगना व क्षमा प्रदान करना ही सार्थक होता हैं। इंसान को अपने मन पर नियंत्रण करने का प्रयास करना चाहिए। क्रोध, मान, माया व लोभ इत्यादि से बचने के लिए धर्म की शरण में आना सार्थक हैं। इंसान दिखावे के चक्कर में अपनी मूल संस्कृति को भूलता जा रहा है। जो किसी भी स्थिति में सही नहीं हैं। धर्मसभा में देश भर के विभिन्न शहरों से आए श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। इनमे से अनेक श्रावक—श्राविकाओं ने उपवास, तेला, एकासण, आयांबिल, पौषध आदि का संकल्प लिया। संघ अध्यक्ष अरविन्द नाहटा ने बताया कि आचार्य एवं उपाध्याय प्रवर द्वारा दोपहर व रात्रि में शंका समाधान किया जा रहा है। रविवार का प्रवचन भी गोशाला सत्संग भवन में होगा।
क्षमा मांगने एवं क्षमा करने में ही जीवन की सार्थकता—जैन आचार्य रामलाल महाराज
