Thursday, June 26, 2025
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मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन के लिए अधिवक्ताओं ने भरी हुंकार, क्लेम याचिका का समय बढ़ाने की मांग

केकड़ी, 25 जून (आदित्य न्यूज नेटवर्क): बार एसोसिएशन केकड़ी के अधिवक्ताओं ने बुधवार को मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 (3) में संशोधन की मांग को लेकर उपखंड अधिकारी के रीडर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखा ज्ञापन सौंपा। अधिवक्ताओं ने दुर्घटना की तारीख से क्लेम याचिका दायर करने के लिए निर्धारित छह महीने की अवधि को बढ़ाकर दो या तीन साल करने की मांग की है। अधिवक्ताओं ने ज्ञापन में बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के संशोधित होने से पहले क्लेम याचिका प्रस्तुत करने की कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं थी। उन्होंने तर्क दिया कि यह अधिनियम मूल रूप से लोक कल्याणकारी है। जिसका मुख्य उद्देश्य मोटर दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों के परिजनों और घायलों को समय पर मुआवजा दिलाना है।

क्यों है संशोधन की मांग: बार अध्यक्ष मनोज आहूजा ने मौजूदा छह महीने की समय-सीमा को विभिन्न कारणों से अव्यावहारिक और अन्यायपूर्ण बताया है। उन्होंने बताया कि अनेक  मामलों में पुलिस द्वारा दुर्घटना का अनुसंधान ही समय पर पूरा नहीं किया जाता। इसी के साथ दुर्घटना में घायल व्यक्तियों का इलाज अक्सर एक साल या उससे अधिक समय तक चलता रहता है, जिससे वे निर्धारित छह महीने की अवधि में याचिका दायर नहीं कर पाते। यह अवधि अधिनियम के मूल लोक कल्याणकारी उद्देश्यों के विपरीत है, जिसके कारण कई पीड़ित परिवारों को मुआवजे से वंचित किया जा रहा है। अधिवक्ताओं का मानना है कि इस धारा में संशोधन किया जाए ताकि दुर्घटना पीड़ितों को समय पर न्याय और मुआवजा मिल सके।

लंबित है अनेक याचिकाएं: आहूजा ने बताया कि भारत में अधिकांश कानूनी मामलों में याचिका दायर करने की समय-सीमा तीन वर्ष है वहीं कर्मकार अधिनियम के तहत भी दो वर्ष की अवधि निर्धारित है। मोटर वाहन अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों में निर्धारित अवधि अन्य सभी अधिनियमों के प्रावधानों से असंगत है। देश के विभिन्न न्यायालयों में ऐसी कई याचिकाएं लंबित है जो निर्धारित समय-सीमा में पेश नहीं की जा सकी, क्योंकि घायल इलाज में व्यस्त थे या पुलिस ने समय पर चार्जशीट पेश नहीं की। ऐसे में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 (3) में संशोधन किया जाना न्यायोचित एवं आवश्यक है। इस मौके पर बार अध्यक्ष मनोज आहूजा, शैलेन्द्र सिंह राठौड़, सलीम गौरी, मुकेश शर्मा, नितिन जोशी, भूपेंद्र सिंह, रामवतार मीणा, निर्मल चौधरी, अनुराग पांडे, दशरथ सिंह सहित कई अधिवक्ता मौजूद थे।

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