Sunday, August 17, 2025
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त्याग और ममत्व रहित जीवन ही सुख-शांति का मार्ग: आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी

केकड़ी, 24 अप्रैल (आदित्य न्यूज नेटवर्क): आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी ने कहा कि मनुष्य की स्वामित्व की भावना और धन के पीछे भागने की प्रवृत्ति उसे कभी भी सच्ची संतुष्टि और सुख प्रदान नहीं कर सकती है। वे बोहरा कॉलोनी स्थित शिवम वाटिका में प्रवचन कर रही थी। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है, इसलिए यदि मनुष्य मालिक बनने की बजाय वस्तुओं का माली बनकर उनका ध्यान रखे और मल्कियत के भाव को त्याग दे, तो वह अवश्य ही सुख और शांति प्राप्त कर सकता है।

जन—जन का है जैन धर्म माताजी ने जैन धर्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह जन-जन का धर्म है और इसमें तप एवं त्याग का विशेष महत्व है। बिना त्याग के जीवन में संयम संभव नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि विज्ञान भी अब जैन धर्म के धार्मिक और नैतिक ज्ञान को समझने और जीवन के रहस्यों को जानने का प्रयास कर रहा है। सुबह माताजी के सानिध्य में जिनाभिषेक, शांतिधारा व जिनेन्द्रार्चना का कार्यक्रम हुआ। शांतिधारा करने का सौभाग्य पारस मल महावीर प्रसाद भाग चंद त्रिलोक चंद लाभचंद बघेरा परिवार को प्राप्त हुआ।

केकड़ी: धर्मसभा में मौजूद श्राविकाएं।

अतिथियों का किया स्वागत भगवान महावीर और आचार्य श्री के चित्र का अनावरण पदम चंद विनय कुमार कटारिया ने किया। राजुल महिला मंडल ने भक्ति भाव से माताजी को शास्त्र भेंट किए। मीडिया प्रभारी रमेश बंसल और पारस जैन ने बताया कि इस दौरान नगर परिषद के आयुक्त मनोज मीणा, एटीपी संजय सारस्वत, बीजेपी नगर अध्यक्ष रितेश जैन व पार्षद मनोज कुमावत सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने माताजी को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। समाज के सदस्यों ने कार्यक्रम में आए अतिथियों का सम्मान किया।

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