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विधेयक में संशोधन से नाराज अधिवक्ताओं ने सौंपा एसडीएम को ज्ञापन, बताया—बिल से वकीलों की स्वतंत्रता खत्म होने का डर

केकड़ी, 19 फरवरी (आदित्य न्यूज नेटवर्क): लोगों की न्याय व्यवस्था के लिए लड़ाई लड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले वकीलों के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता विधेयक में हो रहे संशोधन को लेकर वकीलों में नाराजगी है। वकील पुरजोर तरीके से इसका विरोध कर रहे हैं। वकीलों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा विधेयक में किए जा रहे संशोधन को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। बुधवार को बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. मनोज आहूजा के नेतृत्व में वकीलों ने उपखण्ड अधिकारी सुभाष चन्द्र हेमानी को ज्ञापन सौंपकर बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा संसद में अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया गया है, जो अधिवक्तागणों के हितों के कतई विपरीत है तथा वकीलों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करता है तथा अधिवक्तागण की आवाज को दबाने का प्रयास करता है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन ज्ञापन में बताया कि विधेयक के प्रावधान वकीलों के संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 21-जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हनन करते है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मांगों और समस्याओं को उठाने के लिए हड़ताल या बहिष्कार एक महत्वपूर्ण हथियार होता है। इसे छीन लेना उनकी आवाज को दबाने जैसा है। उक्त संशोधन में अधिवक्तागणों पर उनके पेशेवर आचरण को लेकर अनुचित रूप से जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान किया गया है, जिससे वकीलों पर अनावश्यक दबाव बनेगा और उनकी स्वतंत्रता प्रभावित होगी।

वकीलों की भूमिका होगी कमजोर उक्त संशोधन के तहत बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी वकील को तुरंत निलंबित कर सकती है (धारा 36) जो भी कतई दुर्भाग्यपूर्ण है तथा यह प्रावधान वकीलों के खिलाफ दुरुपयोग को बढ़ावा दे सकता है। बिना उचित जांच के किसी को निलंबित करना अन्यायपूर्ण है तथा न्याय प्रणाली में वकीलों की भूमिका को कमजोर करना है। वकील न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनके बिना न्याय प्रक्रिया अधूरी है। इस अधिनियम के तहत वकीलों को अनुशासनात्मक कार्यवाही का डर दिखाकर उनकी स्वतंत्रता को कमजोर किया जा रहा है। यह न्याय प्रणाली के लिए खतरनाक है।

लॉ फर्मों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण इसी के साथ उक्त संशोधन के तहत देश में पैरवी करने के लिए विदेशी लॉ फर्मों को भी अधिकार दिया जा रहा है, जो कि अधिवक्तागणों एवं उनके द्वारा संचालित एवं सेवारत विभिन्न लॉ फर्मों के लिए स्पष्टतया दुर्भाग्यपूर्ण है। इस क्षेत्र में विदेशी हस्तक्षेप से देश के अधिवक्तागणों एवं अधिवक्ता फर्मों के हितों पर कुठाराघात होगा। ऐसे में अधिवक्तागणों के हितों को मद्देनजर रखते हुए अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 में किये जा रहे संशोधनों को अविलम्ब रूप से रूकवाया जाए। इस मौके पर बार एसोसिएशन के कई सदस्य मौजूद रहे।

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