केकड़ी, 24 जुलाई (आदित्य न्यूज नेटवर्क): क्षेत्र के बीसलपुर बांध में आखिरकार खुशियों के द्वार खोल दिए गए। गुरुवार शाम को लगभग 4.55 बजे बांध ने अपनी पूर्ण भराव क्षमता का उच्चतम शिखर छू लिया। बीसलपुर बांध राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है। बांध की कुल भराव क्षमता आरएल 315.50 मीटर है। बांध लबालब होने के साथ ही जल संसाधन विभाग के उच्च अधिकारियों ने तकनीकी जांच के बाद बड़ा फैसला लेते हुए एक गेट खोलकर अधिशेष पानी की निकासी शुरु कर दी है। देवली विधायक राजेन्द्र गुर्जर ने डैम के कंट्रोल रूम में विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद डैम का एक गेट खोल कर पानी की निकासी शुरु की। यह दृश्य देखने के लिए काफी संख्या में लोग बीसलपुर डैम क्षेत्र पर एकत्र हो गए।

कई जिलों की टिकी थी नजर: गौरतलब है कि प्रदेश की राजधानी जयपुर, अजमेर, टोंक, ब्यावर समेत बड़े नगरों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध पर कई जिलों की नजर टिकी हुई थी। अपरान्ह बाद करीब 4 बजे बाद बांध का जलस्तर सेकंड लास्ट पोजीशन आरएल 315.49 मीटर पहुंच गया। उधर, गेट खोले जाने की सतर्कता को लेकर सुबह से ही डैम से चेतावनी साइलेंट बजा दिए गए। हर मिनट में बज रहे चेतावनी सायरन के माध्यम से डाउनस्ट्रीम के लोगों को नदी से दूर जाने के लिए आगाह किया गया।

बांध की क्षमता 38.7 टीएमसी: उल्लेखनीय है कि 38.7 टीएमसी क्षमता वाले बांध में 16.2 टीएमसी पानी को पेयजल के लिए आरक्षित रखा जाता है। जबकि 8 टीएमसी पानी सिंचाई के लिए रिजर्व है। बीसलपुर बांध की दांई मुख्य नहर 51.64 किलोमीटर लंबी है। जिससे 218 गांव के किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलती है। वही बाईं मुख्य नहर 18. 65 किलोमीटर लंबी है। जिससे 38 गांव सिंचित होते हैं। इस दौरान टोंक जिला कलक्टर कल्पना अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार मीणा, जिला प्रमुख सरोज बंसल, देवली उपखंड अधिकारी रूबी अंसार, डीएसपी रामसिंह, थाना प्रभारी दौलत राम गुर्जर सहित परियोजना के अभियंता एवं भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्रवीर सिंह चौहान, भाजपा नेता नरेश बंसल, प्रधान देवली बनवारी, भाजपा जिला उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह राणावत आदि मौजूद रहे।

पहली बार जुलाई माह में खुले गेट: बांध के निर्माण से लेकर अब तक 7 बार बांध के गेट खोले गए हैं। बांध के गेट शुरुआत में छह बार अगस्त में एवं पिछले साल 2024 में सितम्बर में खोले गए थे। यह पहली बार है कि बांध के गेट जुलाई महीने में ही खुल गए है। गेट खोलने के लिए स्काडा सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, शाहपुरा और केकड़ी क्षेत्र में तेज बरसात के बाद गम्भीरी, जैतपुरा और गोवटा बांधों से पानी की निकासी जारी है। वहीं त्रिवेणी नदी के साथ ही डाई नदी से भी बांध में पानी पहुंच रहा है।
बांध की कैद से आजाद हुआ पानी: देवली विधायक राजेन्द्र गुर्जर ने ज्योंहि बटन दबाकर अधिशेष पानी के निकास की शुरुआत की। लबालब भरे बीसलपुर बांध के गेट से पानी निकल पड़ा। पानी निकलने का यह दृश्य काफी विशाल दिखाई दिया। वही गेट से मुक्त हुई जलराशि सरपट बनास में दौड़ पड़ी। पानी की बौछार काफी ऊंचाई तक जा रही थी। उक्त नजारे को कैद करने के लिए डैम पर बावजूद काफी संख्या में लोग मौजूद रहे। इस दौरान विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे। उधर व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे।

6 हजार 10 क्यूसेक पानी की निकासी: बीसलपुर बांध परियोजना के अधिकारियों के अनुसार गेट संख्या 10 को एक मीटर खोलकर 6 हजार 10 क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है। बीसलपुर बांध की भराव क्षमता 315.50 मीटर को रखते हुए अधिशेष पानी को निकालने का क्रम शुरु किया गया है। इस समय त्रिवेणी का गेज करीब 2.40 मीटर चल रहा है। बांध में जितने पानी की आवक हो रही है, उसी के अनुसार पानी बाहर निकाला जाएगा। पानी की आवक बंद होने के बाद बांध के गेट बंद कर दिए जाएंगे। एक्सपर्ट के अनुसार डैम से छोड़ा गया पानी कई राज्यों से होता हुआ बंगाल की खाड़ी तक पहुंचेगा।
पहले 7 बार भर चुका है बांध: गौरतलब है कि बीसलपुर बांध का पूरा निर्माण वर्ष 1999 में हुआ। इसके बाद यह बांध पहली बार वर्ष 2004 में भरा। वही इसके दो वर्ष बाद 2006, इसके बाद 2014, 2016, 2019, 2022 व अंतिम 2024 में बांध पूर्ण भराव पहुंचा था। इन वर्षों में बांध के गेट खोलकर अधिशेष पानी की निकासी की गई थी। उल्लेखनीय है कि कई जिलों से बीसलपुर बांध में पानी की आवक होती है। इन में मुख्यता भीलवाड़ा, चित्तौड़ है। इसके अलावा अजमेर, प्रतापगढ़, टोंक भी इनमें शामिल है।

कुल 18 गेट, एक गेट 14 मीटर तक खुलता है: बीसलपुर बांध में कुल 18 गेट हैं, जिनकी साइज 15 गुणा 14 मीटर है। एक गेट को एक मीटर खोलने पर एक घंटे में 2 से ढाई हजार क्यूबिक फीट पानी की निकासी होती है। एक गेट 14 मीटर तक खोला जा सकता है। बीसलपुर में सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन सिस्टम (SCADA-स्काडा) हाईड्रो मैकेनिकल सिस्टम यूज होता है। यह 2020 में लगाया गया था। यह मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल ऑपरेट होता है। इसे कंप्यूटर से कमांड देते हैं। इसे कमांड देते ही सेंसर के जरिए मोटर को सिग्नल मिलता है। इसके बाद मोटर की पावर ऑन होती है। दी गई गई कमांड के अनुसार गेट खुल जाते हैं।
पहले मैन्युअल, अब ऑटोमेटिक: बीसलपुर बांध के गेट खोलने के लिए पहले मैन्युअल काम होता था, लेकिन 2020 में स्काडा सिस्टम लगने से सब कुछ ऑटोमेटिक हो गया है। पूर्व में गेट खोलने के लिए मशीनों में स्टाफ को हर बार डाटा फीड करना पड़ता था, लेकिन अब एक बार डाटा फीड करने के बाद सब डाटा ऑटोमेटिक जनरेट होता है। ऐसे में मैन पावर की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। बांध के कौनसे गेट को कितनी देर खोला, कितना खोला और कितनी पानी की निकासी की गई… ये सब कुछ कंप्यूटर के जरिए फीड किया जाता है। यहां सिस्टम में पहली फीड कर रखा है। बीसलपुर डैम से पानी छोड़ने के दौरान पूरी प्रोसेस पर सीनियर अधिकारी नजर रखते हैं और बहाव क्षेत्र में भी निगरानी की जाती है।

81 हजार 800 हेक्टेयर जमीन होगी सिंचित: बीसलपुर बांध के नहरी तंत्र का निर्माण साल 2004 में पूरा हुआ था। टोंक जिलें में सिंचाई के लिए बांध की दायीं और बायीं दो मुख्य नहरें हैं। दायीं नहर की कुल लंबाई 51 किलोमीटर और बायीं नहर की लंबाई 18.65 किलोमीटर है। जिनसे जिले की 81 हजार 800 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है। दायीं मुख्य नहर से 69 हजार 393 हेक्टेयर और बायीं नहर से 12 हजार 407 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। इसके लिए गांवों में माइनर और धोरों की नहरों का जाल 750 किलोमीटर की लंबाई में फैला हुआ है। बांध से अब तक 2004, 2005, 2006, 2007, 2011 से 2017, 2019, 2022, 2023 व 2024 में सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जा चुका है। बता दें कि बीसलपुर बांध के निर्माण के लिए 68 गांवों को खाली करवाया गया था।
