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दसलक्षण महापर्व: जैन मंदिरों में भक्ति व संस्कृति का संगम, समझाया उत्तम आर्जव धर्म का महत्व, नृत्य नाटिका ने मोहा मन

केकड़ीः जिनेन्द्र प्रतिमाओं का अभिषेक करते श्रद्धालु।

केकड़ी, 30 अगस्त (आदित्य न्यूज नेटवर्क): बोहरा कॉलोनी स्थित श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में दसलक्षण महापर्व का तीसरा दिन उत्तम आर्जव धर्म के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सुबह पंडित निकेत शास्त्री (सांगानेर) के निर्देशन में संगीतमय शांतिधारा, नित्य नियम पूजा व अभिषेक हुआ। शांतिधारा का पुण्यलाभ विमल कुमार चेतन कुमार बिसुन्दनी, कैलाश चंद प्रकाश चंद बघेरा, रमेश चंद कमल किशोर बघेरा, भागचंद विजय कुमार धूंधरी, भागचंद ज्ञानचंद जैन ज्वैलर्स एवं भागचंद ज्ञानचंद भगत सावर ने प्राप्त किया। शांतिधारा के बाद दसलक्षण धर्म महाविधान का आयोजन किया गया। जिसमें 16 श्रीफल अर्घ्य समर्पित किए गए।

सरल है आत्मा का स्वभाव: पंडित निकेत शास्त्री ने अपने प्रवचन में पंच मेरु के 80 जिन चेत्यालयों का वर्णन किया तथा उत्तम आर्जव धर्म के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि आत्मा का स्वभाव ही सरल है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को सरल स्वभाव अपनाना चाहिए। शास्त्री ने “उत्तम आर्जव कपट मिटावे, दुर्गति त्यागी सुगति उपजावे” दोहे का अर्थ बताते हुए कहा कि उत्तम आर्जव अपनाने से मन राग-द्वेष से मुक्त हो जाता है और सरल हृदय वाले व्यक्ति में ही सुख-शांति व समृद्धि का वास होता है। कोषाध्यक्ष सुरेंद्र रांटा ने बताया कि दोपहर में पंडित निकेत शास्त्री ने तत्वार्थ सूत्र का वाचन किया, जिसमें सभी धर्मावलंबियों ने धर्मलाभ प्राप्त किया।

केकड़ी: नृत्य नाटिका प्रस्तुत करती बहू मण्डल की सदस्याएं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम: शाम को सामयिक प्रतिक्रमण के बाद समाज के 12 परिवारों ने अपने मोहल्लों से संगीतमय महाआरती का जुलूस निकाला, जो मंदिर पहुंचकर संपन्न हुआ। आरती के बाद गायक कलाकार ऋषभ मित्तल ने भक्तिमय भजनों की प्रस्तुतियां दी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत शुक्रवार रात्रि को शांतिनाथ बहू मंडल ने “मां की ममता” नामक सुंदर नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। इसमें टम्मू बावड़ी व सीमा धूंधरी की विशेष भूमिका रही। कार्यक्रम का संचालन चंद्रकला जैन ने किया। मीडिया प्रभारी पारस जैन ने बताया कि सभी प्रतिभागियों को कैलाश चंद प्रकाश चंद (मावा वालों) की ओर से पुरस्कृत किया गया।

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