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प्राचीन प्रतिमा तोड़ने के मामले में न्याय की मांग, रिपोर्ट दर्ज नहीं होने पर बुजुर्ग माता-पिता संग अनशन पर बैठा पीड़ित

केकड़ी: सावर उपखंड़ कार्यालय के बाहर धरने पर बैठा पीड़ित परिवार।

केकड़ी, 3 जुलाई (आदित्य न्यूज नेटवर्क): केकड़ी के सावर थाना क्षेत्र के मेहरूखुर्द गांव में 500 साल पुरानी भैरुजी की प्रतिमा व मंदिर को कथित तौर पर जेसीबी से तोड़ने के मामले में नया मोड़ आ गया है। सावर पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज नहीं करने के आरोप में पीड़ित सत्यनारायण मीणा अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ गुरुवार को उपखंड कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गया। अनशन पर बैठने के बावजूद सावर पुलिस ने परिवार की कोई सुध नहीं ली। वहीं प्रशिक्षु आएएस उपखंड अधिकारी श्रद्धा सिंह ने अनशनकारियों से समझाइश का प्रयास किया, लेकिन पीड़ित परिवार ने मुकदमा दर्ज होने तक अनशन समाप्त नहीं करने की बात दोहराई। सत्यनारायण मीणा ने बुधवार को पुलिस उप अधीक्षक हर्षित शर्मा को भी ज्ञापन सौंपकर जल्द रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की थी।

क्या है मामला: मेहरूखुर्द निवासी सत्यनारायण मीणा के अनुसार उनके पूर्वज 500 वर्षों से अधिक पुरानी भैरुजी की प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते आ रहे है। यह स्थान आसपास के गांवों के लिए भी आस्था का केंद्र है। सत्यनारायण का आरोप है कि 29 जून की रात को भैरुजी महाराज के स्थान को चंद्रप्रकाश मीणा पुत्र शंकर लाल मीणा उर्फ पप्पू मीणा कथित लाल धागा सरकार व उसके आदमी दुर्गा देवी गुर्जर, राधा गुर्जर, रामप्रसाद गुर्जर, महेश योगी, विमला गुर्जर, चिंता गुर्जर, सांवरलाल गुर्जर (निवासी पिपलाज), चेतन कहार (निवासी आमली), सांवरा कहार (निवासी आमली), सांवरा कहार (निवासी पंडेर), हरिओम नाथ, चंद्रशेखर सिंह, दरियाव नाथ व फोरू नाथ आदि ने जेसीबी मशीन से तोड़ दिया। इसके बाद मलबे को डंपर और ट्रैक्टर में भरकर ले गए। जिससे ग्रामीणों की आस्था को गहरी ठेस पहुंची है।

सावर थाना प्रभारी का पक्ष: इस मामले में सावर थाना प्रभारी बनवारी लाल मीणा ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि ऑनलाइन परिवाद बुधवार को दर्ज कर लिया गया है। परिवार बयान नहीं दे रहा है। जांच करने के बाद मुकदमा दर्ज किया जाएगा। एसडीएम साहब ने भी उसे समझाया था कि वह बयान और सबूत दे। गांव वालों के बयान लिए गए हैं। धार्मिक स्थान आम रास्ते में था, इसलिए सत्यनारायण मीणा को लाल धागे वाले बाबा ने साढ़े तीन लाख रुपए देकर मूर्तियों को दूसरी जगह शिफ्ट करने को कहा था। लेकिन सत्यनारायण ना तो बयान दे रहा है और ना ही स्वामित्व के कागजात उपलब्ध करा रहा है।

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