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मानव में है असीम क्षमता, त्याग धर्म से मिलेगी आत्मज्ञान की राह: आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी

केकड़ी: आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी को शास्त्र भेंट करती महिलाएं।

केकड़ी, 26 अप्रेल (आदित्य न्यूज नेटवर्क): आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी ने कहा कि मनुष्य असीम शक्ति का भंडार है, लेकिन अज्ञानता के कारण वह इस शक्ति का सही उपयोग नहीं कर पाता। आत्मा का स्वरूप अनमोल है, लेकिन मनुष्य इस सत्य से अनजान है कि वास्तव में आत्मा क्या है। वे बोहरा कॉलोनी स्थित शिवम वाटिका में प्रवचन कर रही थी। उन्होंने कहा कि त्याग धर्म के प्रति अपनी आस्था बनाए रखने से आत्मशक्ति प्राप्त की जा सकती है। ध्यान भी एक प्रकार का त्याग धर्म है। दान के प्रति प्रशंसा का भाव न रखना भी त्याग है। मौन रहकर संतवाणी सुनना भी त्याग है। क्योंकि इससे एकाग्रता बढ़ती है और आत्मा की गहराई में उतरने का अवसर मिलता है।

नमिनाथ भगवान को अर्पित किया निर्वाण मोदक प्रातःकाल आर्यिका संघ के सानिध्य में जिनाभिषेक, शांतिधारा और जिनेंद्र अर्चना सहित विभिन्न धार्मिक क्रियाएं संपन्न हुईं। शांतिधारा करने का सौभाग्य शांतिलाल, पारस कुमार, विनोद कुमार, राकेश कुमार जूनियां परिवार एवं सत्यनारायण, अशोक कुमार, अंकुर कुमार जूनियां परिवार ने प्राप्त किया। श्री नमिनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक पर मोदक सहित अर्घ्य समर्पित किया गया। मोदक चढ़ाने का पुण्य सुरेश कुमार, अंकित कुमार, आनंद कुमार उनियारा वालों ने प्राप्त किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

केकड़ी: धर्मसभा की शुरुआत में मंगलाचरण नृत्य प्रस्तुत करती महिलाएं।

दीप प्रज्जवलन किया मीडिया प्रभारी रमेश बंसल व पारस जैन ने बताया कि चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन का सौभाग्य शिखर चंद, उत्तम चंद, संजय कुमार, आयुष, अनुभव बंसल कालेड़ा वाले (देवली) को मिला। मंगलाचरण व पाद प्रक्षालन शुभकामना परिवार की ब्राह्मी सुंदरी शाखा द्वारा किया गया। धर्म सभा का संचालन निकेत शास्त्री ने किया। दिलीप जैन ने जानकारी दी कि आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी श्री नेमीनाथ मंदिर से बैंड बाजे के साथ श्री आदिनाथ मंदिर पहुंचीं, जहां उन्होंने जिनेंद्र भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा संपन्न करवाई।

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