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हाथ पर चोट लगने से सिग्नेचर एवं मन पर चोट लगने से नेचर में आता है बदलाव—आचार्य सुनील सागर महाराज

केकड़ी: सापण्दा रोड स्थित शिवम वाटिका में प्रवचन करते दिगम्बर जैनाचार्य सुनील सागर महाराज।

केकड़ी, 19 अप्रैल (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन आचार्य ​सुनील सागर महाराज ने कहा कि कौन कहता है कि नेचर व सिग्नेचर नहीं बदलते। हाथ पर चोट लगती है तो सिग्नेचर बदल जाते है और मन पर चोट लगती है तो नेचर बदल जाता है। वे सापण्दा रोड स्थित शिवम वाटिका में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पारसमणि के संपर्क में आने से लोहा सोना बन जाता है। वहीं पार्श्वनाथ के संपर्क में आने से भगवान बनने की राह मिलती है। उन्होंने कहा कि मानव पर्याय बड़ी मुश्किल से मिलता है। इसे बहुमूल्य समझकर अच्छे कर्म करने में ही जीवन की सार्थकता है।

ये रहे सौभाग्यशाली प्रवचन सभा के बाद सुमतिनाथ भगवान का जन्म, तप व मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया। मीडिया प्रभारी पारस जैन व रमेश बंसल ने बताया कि भगवान के लड्डू चढ़ाने का सौभाग्य शांतिलाल, पारस कुमार, विनोद कुमार, राकेश कुमार जूनियां ने प्राप्त किया। चित्र अनावरण व दीप प्रज्ज्वलन ओमप्रकाश, गोविंद कुमार, योगेश सदारा ने किया। आचार्यश्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य भंवरलाल, अरिहंत बज ने प्राप्त किया।

जिन मंदिरों के किए दर्शन सुबह शांतिधारा व जिनाभिषेक के बाद आचार्यश्री एवं श्रीसंघ ने जुलूस के साथ नगर में स्थित आठों जिनालयों के दर्शन किए। मीडिया प्रभारी जैन व बंसल ने बताया कि शनिवार को नियमित कार्यक्रम के अलावा दिन में आचार्य सन्मति सागर महाराज व आचार्य सुनील सागर महाराज की दीक्षा जयंती महोत्सव शिवम वाटिका में धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। शाम को नेमिनाथ जैन पाठशाला के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा।

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