केकड़ी, 31 जुलाई (आदित्य न्यूज नेटवर्क): केकड़ी क्षेत्र में इस बार जुलाई माह में हुई औसत से अधिक बारिश ने किसानों की खरीफ की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। लगातार हो रही तेज व रिमझिम बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया है। जिससे खड़ी फसलें बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। किसानों के सामने अब गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। फसलों को हुए भारी नुकसान के बाद किसानों ने सरकार से नुकसान का सर्वे करवाकर उचित मुआवजे की मांग की है। खेतों में लगातार पानी से गल गई फसलें: बीते लगभग एक माह से जारी बारिश ने खरीफ सीजन की लगभग सभी फसलों, जैसे ज्वार, बाजरा, उड़द, मूंग, तिलहन और मक्का को बुरी तरह प्रभावित किया है। खेतों में लगातार पानी भरा रहने से फसलें गलकर पूरी तरह खराब हो चुकी हैं। इस स्थिति ने किसानों में गहरी निराशा और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
जुलाई में ही औसत से अधिक बारिश दर्ज: जल संसाधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार केकड़ी क्षेत्र में अब तक 594 मिमी बारिश दर्ज की जा चुकी है। जो कि औसत वर्षा 500 मिमी से 94 मिमी अधिक है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह अतिरिक्त बारिश केवल जुलाई माह में हुई है। जबकि अभी सावन के आठ दिन और पूरा भादवा महीना बाकी है। इससे आने वाले दिनों में और भी अधिक नुकसान की आशंका है। 1.75 लाख हैक्टेयर में हुई थी बुवाई: कृषि विभाग कार्यालय के अनुसार इस बार केकड़ी क्षेत्र में कुल 1,75,085 हैक्टेयर में फसलों की बुवाई की गई थी। इसमें सर्वाधिक बुवाई ज्वार (63,665 हैक्टेयर), मूंग (47,500 हैक्टेयर), उड़द (27,783 हैक्टेयर) एवं मक्का (21,315 हैक्टेयर) की हुई थी। इन सभी फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
किसानों पर बढ़ा आर्थिक बोझ: किसानों ने बताया कि एक बीघा भूमि में बुवाई से लेकर कटाई तक करीब 4,000 रुपए का खर्च आता है। फसलों के खराब होने से यह खर्चा किसानों पर भारी आर्थिक बोझ बन गया है। स्थिति इतनी गंभीर है कि फसलें गलने से पशुओं के लिए चारे की भी भारी कमी हो जाएगी। लगभग सवा महीने की हो चुकी फसलें खेतों में पानी भरे रहने के कारण पूरी तरह नष्ट हो रही है।