केकड़ी, 19 जून (आदित्य न्यूज नेटवर्क): संत शिरोमणि आचार्य सन्मति सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य आचार्य सुन्दर सागर महाराज ने कहा कि इंसान की तरह पत्थर भी अलग अलग रंग के होते है। उन्ही लाल, काले, सफेद, काले पत्थर की मूर्ति बनी होती है। हम उस काले, सफेद पत्थर की बनी मूर्ति में विराजमान भगवान को देखते है। परन्तु काले, सफेद रंग के मनुष्य से भेदभाव करते है। वे ग्रीष्मकालीन प्रवास के दौरान प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भेद विज्ञान प्राप्त करने के लिए उसके रंग को नहीं देखकर अंदर स्थित ज्ञान को पहचानना चाहिए। मनुष्य की आत्मा में ही ज्ञान है, आत्मा को जानने के लिए ही मानव को पुरुषार्थ करना पड़ता है।
वीतरागता की राह में रोडा है परिवार धर्मसभा में मुनि सुगम सागर ने कहा कि सांसारिक सुख पाने के लिए प्राणी हर प्रकार का कार्य करता रहता है, फिर भी वह उसे प्राप्त नहीं कर पाता है। व्यक्ति व्यापार करता है, नौकरी करता है, धर्म-अधर्म करता है, परिवार की खुशियों के लिए बहुत कुछ करता है, फिर भी उसे सुकून नहीं मिलता है। जिस परिवार के लिए वह सब कुछ करता है। वही उसे सांसारिक मोह मे जकड़े रखता है। सांसारिक दलदल से बाहर निकलना है तो पीछे मुड़कर नहीं देखना होगा। अन्यथा आपका परिवार ही आपको वीतराग के रास्ते मे रोड़ा बनेगा।

दीप प्रज्जवल से हुई धर्मसभा की शुरुआत मीडिया प्रभारी पारस जैन ने बताया कि सुबह नित्य नियम पूजा, जिनाभिषेक व शांतिधारा का आयोजन हुआ। धर्मसभा की शुरुआत में अमर चंद चोरुका, महावीर प्रसाद जैन, निहाल चंद जैन व कैलाश चंद जैन ने भगवान महावीर व आचार्य सन्मति सागर महाराज के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्जवल किया। भागचंद, विजय कुमार जैन ने आचार्यश्री के पाद प्रक्षालन किए। चन्द्रकला जैन ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। संचालन भागचंद जैन ने किया।