केकड़ी, 27 अप्रेल (आदित्य न्यूज नेटवर्क): आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी ने कहा कि मनुष्य को उन वस्तुओं के प्रति त्याग भाव रखना चाहिए जो वर्तमान में उपयोग में नहीं आ रही हैं। उन्होंने कहा कि त्याग का उद्देश्य कर्म बंधनों का क्षयोपशम करना है। वे बोहरा कॉलोनी स्थित शिवम वाटिका में प्रवचन कर रही थी। उन्होंने कहा कि पदार्थों के प्रति आसक्ति, मोह और अनुराग से बचकर पाप कर्मों से बचा जा सकता है। जिस प्रकार बच्चा घुटनों के बल चलते हुए धीरे-धीरे खड़े होने की क्षमता प्राप्त करता है, उसी प्रकार छोटे-छोटे नियम लेकर व्यक्ति महाव्रतों को धारण कर सकता है। उन्होंने जीवन को संयम और सावधानीपूर्वक जीते हुए समभाव बनाए रखने की कला को अपनाने का आह्वान किया।
समाज के श्रेष्ठियों ने किया दीप प्रज्जवलन मीडिया प्रभारी रमेश बंसल व पारस जैन ने बताया कि सुबह माताजी के सानिध्य में जिनाभिषेक, शांति धारा व जिनेंद्र अर्चना के कार्यक्रम हुए। समाज के श्रेष्ठिवर्य सोभागमल रामथला, वेद्य ज्ञानचंद डेवड़िया, सुबोध कासलीवाल, महावीर जैन बीजवाड़, रमेश जैन मेहरू, महेंद्र पाटनी व कैलाशचंद जूनियां ने चित्र अनावरण और दीप प्रज्ज्वलन का सौभाग्य प्राप्त किया। राजेंद्र कुमार अर्पित कुमार अजगरा परिवार ने पाद प्रक्षालन किया, जबकि शुभकामना परिवार की सन्मति शाखा ने शास्त्र भेंट किए।
अक्षय तृतीया पर होगा विशेष आयोजन समाज के अमरचंद चोरूका ने अक्षय तृतीया के अवसर पर होने वाले विशेष कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल की शाम को आर्यिका संघ के सानिध्य में 48 रजत दीपों से शिवम वाटिका के 48 स्थानों पर श्री भक्तामर स्तोत्र के 48 काव्यों का संगीतमय पाठ किया जाएगा और दीप समर्पित किए जाएंगे। धर्म सभा का संचालन निकेत शास्त्री ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। शाम को आरती, भक्ति और आनंद यात्रा का आयोजन किया गया।