केकड़ी, 11 अक्टूबर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन संत मुनि अनुपम सागर महाराज ने कहा कि आत्महत्या कायरता है। जीवन में चाहे कैसी भी कठिनाई आ जाये, कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाना चाहिए। हर कठिन व विपरीत परिस्थितियों में हमें आत्मविश्वास व मनोबल को मजबूत रखते हुए समस्याओं से संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिये। वे यहां सापंदा रोड स्थित श्री सुधासागर दिगंबर जैन विद्या विहार सीनियर सैकण्डरी स्कूल में विद्यार्थियों को अपना प्रेरणास्पद प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को इधर-उधर ध्यान भटकाने के बजाय अपने लक्ष्य के प्रति जागरूक रहने के लिए कहा। उन्होनें कहा कि हमारे जीवन का एक मकसद होना चाहिए। बच्चे देश की धरोहर है, भविष्य का सुखद सपना है। यह सपना टूटना नहीं चाहिए। यह हम सबकी जिम्मेदारी है।
उन्होंने प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर विद्यार्थियों के अवसाद में आकर आत्महत्या करने की लगातार बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए स्कूली बच्चों को प्रेरणा दी कि हम हैं, तो सब है। उन्होनें कहा कि अतीत से सीखो, वर्तमान को जियो व भविष्य से आशा रखो। ये जीवन सौभाग्य का रूप है, इसका मूल्यांकन आपके चिंतन-क्रियान्वयन-व्यवहार से है। जीवन में मधुर सम्बन्धों को निभाने में विवाद नहीं, संवाद करें। विफलता को सफलता की सीढ़ी माने उदासीनता का अड्डा नहीं। आपका जीवन, बहुतों के लिए शान्ति, संपूर्णता व स्वास्थ्य का संजीवन रूप है। उन्होनें कहा कि उड़ान हौसलों से होती है, सिर्फ पंखों से नहीं। कभी लड़खड़ाकर गिर जाओ, तो फिर से खड़े होकर दुनिया को दिखा दो कि तुम्हारे पैरों में बहुत ताकत है।

उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों के लोग अपने बच्चों के उन्नत भविष्य के लिए उन्हें उच्च शिक्षा के लिए अपने से दूर, दूसरे स्थानों पर पढ़ने भेजते हैं, मगर वे उन्हें इसके लिए तैयार नहीं कर पाते कि विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला कैसे करना है। हमें मनुष्य जीवन मिला है, जो अनमोल है, इसे किसी भी बात के लिए नष्ट करना घोर पाप है। दिगम्बर मुनि ने इस दौरान सभा में मौजूद सभी विद्यार्थियों से जीवन में बहुत कठिनाई आने पर भी कभी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाने की प्रेरणा देते हुए उन्हें इस हेतु संकल्प दिलवाया। उन्होंने विद्यार्थियों को विद्यार्थी लक्षण अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि माता-पिता व गुरुजनों का सम्मान जीवन की सफलता के लिए अति आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि जो माता-पिता के चरणों में झुकता है, उसे किसी के आगे नहीं झुकना पड़ता। सभी को अपनी सोच बड़ी रखनी चाहिए। विद्यार्थी जीवन में संयम व संस्कार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अल्प निंद्रा और अल्प भोजन जैसे लक्षणों को अपनाना विद्यार्थी जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है। केकड़ी में ससंघ वर्षायोग प्रवास कर रहे मुनि अनुपमसागरजी महाराज बच्चों में सकारात्मक विचारों का प्रवाह करने व सार्थक जीवन की प्रेरणा देने के उद्देश्य से विशेष रूप से श्री सुधासागर स्कूल आये। उन्होनें विद्यार्थियों को हर कठिन परिस्थितियों में अपना आत्मविश्वास व मनोबल मजबूत रखते हुए आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देते हुए कई व्यवहारिक टिप्स दिए।

इस अवसर पर संघस्थ मुनि यतीन्द्र सागर महाराज ने विद्यार्थी जीवन में समय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आत्मविश्वास, समर्पण व रुचि सहित किया गया पुरुषार्थ ही सफलता प्रदान करता है। जो तपता है वो ही चमकता है। समय पर किया गया काम ही व्यक्ति को शिखर तक पहुंचाता है। धर्मसभा के प्रारंभ में आचार्य विद्या सागर महाराज व आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन किया गया तथा मुनिद्वय के पाद प्रक्षालन कर, उन्हें शास्त्र भेंट किए गए। मुनिसंघ के विद्यालय आगमन पर विद्यार्थियों ने स्वयं बैंडवादन कर और ढोल बजाकर शिक्षकगणों के साथ उनकी अगवानी की। तत्पश्चात स्कूल प्रबंध समिति के सचिव आनन्द सोनी व विद्यालय परिवार ने मुनिसंघ के समक्ष श्रीफल अर्पित करते हुए कृतज्ञता व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन अजय जैन व आजाद शर्मा ने किया।