Site icon Aditya News Network – Kekri News

भक्तिविहीन शक्ति और श्रद्धाविहीन भक्ति व्यर्थ है-मुनि आदित्य सागर महाराज

केकड़ी: मुनिसंघ के पाद प्रक्षालन करते हुए श्रेष्ठी।

केकड़ी, 11 जून (आदित्य न्यूज नेटवर्क): श्रुत संवेगी मुनि आदित्य सागर महाराज ने कहा कि श्रुत पंचमी एक नैमेतिक महापर्व है। आज से लगभग दो हजार वर्ष पहले ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी के दिन श्रुत पंचमी पर्व की स्थापना हुई, जब आदिग्रंथ ‘षटखण्डागम’ शास्त्र की रचना पूर्ण हुई थी। धवला शास्त्र के अनुसार आचार्य धरसेन ने श्रुत के विच्छेद हो जाने के भय से दो साधुओं को श्रुत का ज्ञान दिया था। वे आचार्य भूतबली और पुष्पदंत थे, जिन्होंने 35 हजार सूत्र प्रमाण षटखण्डागम की रचना पूर्ण की। इसी शास्त्र के पांच खण्डों की टीका धवला आचार्य वीरसेन ने ईशवी 816 में पूरी की जो 72 हजार गाथा प्रमाण है और आज सोलह पुस्तकों में उपलब्ध है। आचार्य जिनसेन स्वामी ने जय धवला 60 हजार श्लोक की लिखी। वे श्रुत पंचमी पर्व के अवसर पर मंगलवार को दिगम्बर जैन चैत्यालय भवन में प्रवचन कर रहे थे।

लेना चाहिए स्वाध्याय का नियम उन्होंने कहा कि हमें जिनवाणी शास्त्रों को विनय पूर्वक विराजमान कर उसका अध्ययन करना चाहिए। जिनवाणी को हमेशा सुरक्षित रखना चाहिए। आज के दिन हमें स्वाध्याय का नियम लेना चाहिए ताकि जिनवाणी का हमें बोध होता रहे। जो सूत्र को पढ़ते हैं व पढाते हैं, उन्हें ही श्रुत केवली बनने का सौभाग्य मिलता है। श्रद्धालुओं को अपने संपत्ति का उपयोग जिनवाणी के संरक्षण, संवर्धन पर अवश्य खर्च करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शक्ति के साथ भक्ति चाहिए और भक्ति के साथ शक्ति। इसी तरह श्रद्धा के साथ प्रेम चाहिए। अगर केवल शक्ति हो तो वह विनाश का कारण हो सकती है। भक्तिविहीन शक्ति और श्रद्धाविहीन भक्ति व्यर्थ है। रावण के पास शक्ति तो थी मगर भक्ति नहीं। जिसके कारण उसका सब कुछ मिट्टी में मिल गया।

केकड़ी: धर्मसभा में उपस्थित महिला-पुरुष।

मुनिसंघ को भेंट किए शास्त्र धर्मसभा के प्रारम्भ राजीव, निलेश, रोहित व कुणाल पांड्या परिवार ने आचार्य श्री विशुद्धसागर महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलन किया तथा विजया देवी, शीतल, अजय, विजय व संजय कटारिया परिवार ने मुनि आदित्य सागर महाराज व मुनिसंघ के पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट किए। समाज के अरिहंत बज ने बताया कि केकड़ी नगर में आगामी 15 व 16 जून को विद्वत संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। जिसमें देश के बारह विद्वानों द्वारा श्रुत की व्याख्या की जाएगी।

Exit mobile version