केकड़ी, 04 दिसंबर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): अमरापुर दरबार जयपुर के महामंडलेश्वर भगत प्रकाश ने कहा कि इंसान के कर्म ही उसके सुख और दुख का कारण बनते है। इसलिए मनुष्य को हर कर्म सोच समझ कर करना चाहिए। मन को पता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा, लेकिन इसके बावजूद इंसान बुराई की ओर मुड़ता है व अंततः दुखी होता है। वे बंजारा मोहल्ला स्थित सिंधी मंदिर में आयोजित सत्संग में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने प्रकृति का उदाहरण देते हुए समझाया कि प्रकृति ने किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया है। धूप हो या हवा, सबको बराबर मात्रा में मिलती है। जब बारिश होती है, तो सभी वनस्पति को समान रूप से पानी मिलता है, लेकिन बीज के तासीर के अनुसार करेला कड़वा स्वाद देता है और गन्ना मीठा स्वाद। यह उनके गुण के आधार पर है। उन्होंने कहा कि परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ रचना होने के बावजूद, इंसान स्वार्थवश अच्छे कार्य नहीं करता और बुरे कामों को प्राथमिकता देता है, जिसके कारण वह हैरान और परेशान होता रहता है।
संतों का संग व सदकर्म: संत भगत प्रकाश ने कहा कि संतों ने हमेशा इंसान को हर पल सजग रहते हुए परमात्मा का सिमरन करते हुए जीवन जीने की कला सिखाई है, लेकिन इंसान अपनी खुदगर्जी में गलत राह पर चल पड़ता है। उन्होंने कहा कि इसलिए समय रहते संतों का संग करके, परमात्मा का स्मरण करके और सदकर्म करके ही इंसान अपना जीवन सफल कर सकता है। सत्संग के दौरान प्रेम प्रकाश मंडली केकड़ी के बच्चों ने एक लघु नाटिका प्रस्तुत की, जिसका सभी ने तालियों के साथ उत्साहवर्धन किया। सत्संग से पहले सिंधी समाज के अध्यक्ष चेतन भगतानी ने समस्त समाज की ओर से भगत प्रकाश जी का स्वागत किया। सत्संग उपरांत भक्तों के लिए लंगर की व्यवस्था की गई।

