केकड़ी, 25 अप्रेल (आदित्य न्यूज नेटवर्क): आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी ने कहा कि सूर्य और जल ही इस संसार के संचालन का आधार हैं। सूर्य के प्रकाश के अभाव में पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, वहीं जल जीवन पर्याय है। वे बोहरा कॉलोनी स्थित शिवम वाटिका में प्रवचन कर रही थी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक आत्मा में सुख, दर्शन, ज्ञान और शक्ति के साथ-साथ आत्मानंद के अक्षय भंडार मौजूद हैं। इन गुणों को अनुभव करने के लिए हमें त्याग की भावना को अपनाना होगा और छोटे-छोटे नियमों का पालन करते हुए त्याग की प्रवृत्ति को विकसित करना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि त्याग की शक्ति हमारे आंतरिक भावों के माध्यम से प्रकट होकर हमारी आत्मशक्ति को दृढ़ता प्रदान करती है।
जिनेन्द्र प्रतिमाओं का किया अभिषेक मीडिया प्रभारी रमेश बंसल व पारस जैन ने बताया कि शुरुआत में आर्यिका संघ के सानिध्य में शांतिधारा, जिनाभिषेक और जिनेंद्र अर्चना का कार्यक्रम हुआ। चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, माताजी के पाद प्रक्षालन और शास्त्र भेंट करने का पुण्य लाभ अनिल कुमार आकाश बंसल (मेहरुकलां) परिवार को प्राप्त हुआ। संचालन भैया निकेत शास्त्री ने किया।
जीवन जीने की कला सिखाई दोपहर में प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर सौरभ जैन (जयपुर) ने एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया। उन्होंने छात्र-छात्राओं सहित 40 वर्ष तक के युवा महिला-पुरुषों को ‘जीवन जीने की कला’ और एक आध्यात्मिक जीवन शैली के महत्व को रोचक उदाहरणों और प्रेरणादायक व्याख्यानों के माध्यम से समझाया, जिससे श्रोताओं ने जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा प्राप्त की।