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रामस्नेही वाटिका में श्रीमद्भागवत कथा का भव्य समापन, श्रद्धालुओं ने लिया संतों का आशीर्वाद, महाप्रसाद में उमड़ा भक्तों का सैलाब

केकड़ी: श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर मंचासीन संत हरिदास महाराज व संत रामशरण महाराज।

केकड़ी, 20 सितंबर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): यहां पुरानी केकड़ी में सूरजपोल गेट के समीप स्थित रामस्नेही वाटिका में पिछले ग्यारह दिन से चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा शनिवार को सम्पन्न हो गई। कथा के अंतिम दिन कथावाचक संत रामशरण महाराज ने भागवत कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मनुष्य के जीवन को सही दिशा देने, आत्मा को पवित्र करने एवं समाज को एकता के सूत्र में पिरोने का एक सशक्त माध्यम है। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य रामदयाल महाराज ने गढ़बोर चारभुजा की पवित्र भूमि से एक वर्चुअल संबोधन दिया। उन्होंने सभी भक्तों को आशीर्वाद देते हुए विश्व शांति व कल्याण की कामना की।

केकड़ी: श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर हवन यज्ञ में आहूतियां देते श्रद्धालु।

हवन यज्ञ में दी आहूतियां: श्रद्धालुओं को संबोधित मेहरूकलां आश्रम के संत हरिदास महाराज ने कहा कि भागवत कथा भक्ति, प्रेम व सद्भाव को समाज में फैलाने का सबसे उत्तम तरीका है। परोपकार व सेवा को अपनाने से ही मानव जीवन सफल होता है। कथा के समापन पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ में आहुतियां दी गई, जिसके बाद महाआरती का आयोजन हुआ। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दीप प्रज्वलित कर भागवत भगवान के प्रति अपनी गहरी भक्ति का प्रदर्शन किया। पूरे कथा पंडाल में भजन-कीर्तन व जयकारों की गूंज सुनाई दी। अंतिम दिन सुबह हवन व पूर्णाहुति के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने महाप्रसाद ग्रहण किया।

केकड़ी: श्रीमद्भागवत कथा को सिर पर धारण कर चलते श्रद्धालु।

सम्मान व आभार: आयोजन समिति ने संत रामशरण महाराज का भगवा वस्त्र भेंट कर स्वागत व अभिनंदन किया। समापन दिवस की कथा के मुख्य यजमान पदम सिंगोदिया व संदीप सिंगोदिया रहे। इन्होंने भंडारे की सेवा की। इस अवसर पर कथा आयोजन में सहयोग देने वाले कार्यकर्ताओं व सहयोगियों को व्यासपीठ से सम्मानित किया गया। साथ ही चातुर्मास में आयोजित सभी कथाओं में सेवा देने वाले बढ़ते कदम गौशाला के सदस्यों रामेश्वर प्रसाद मिश्र, यज्ञनारायण सिंह शक्तावत, अमित गर्ग, आनंदीराम सोमानी, निरंजन तोषनीवाल, राजेन्द्र बियानी, दशरथ चौधरी, भगवान शाक्य, हरिराम विजय, तुलसी राम विजय, दिग्विजय सिंह, भेरू सिंह, महावीर धाकड़, टोनी, रतन माली आदि को भी सम्मानित किया गया।

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