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जीवन को सफल बनाने के लिए मोह रूपी मदिरा का त्याग जरूरी-मुनि अनुपम सागर महाराज

केकड़ी: दिगम्बर जैन मुनि अनुपम सागर के पाद प्रक्षालन करते श्रद्धालु।

केकड़ी, 27 जुलाई (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन मुनि अनुपम सागर महराज ने कहा कि इंसान जिस नजरिए से देखेगा उसकी दृष्टि भी वैसी ही रहेगी। दोष मानव में नहीं है, दोष उसकी दृष्टि में है। चातुर्मास काल संतो द्वारा श्रावक को जगाने का समय है । जीवन में हमेशा मुस्कुराना एवं गुनगुनाते रहना चाहिए। वे घण्टाघर स्थित आदिनाथ मंदिर जैन मंदिर में सत्यार्थ बोध वर्षा योग के पावन अवसर पर प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सत्य हमेशा कड़वा होता है। ज्ञान शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी भी पंथवाद में नहीं पड़ना चाहिए। इंसान ऐसा है कि जिस थाली में खाता है उसी में छेद करने की कोशिश करता है। अपनी दृष्ट बदलोगे तो सृष्टि स्वयं अपने आप बदल जाएगी। मोह रूपी मदिरा त्यागने की कोशिश से अपने जीवन को सफल करना चाहिए।

मुनि संघ को भेंट किए शास्त्र धर्मसभा की शुरुआत में कैलाशचंद, कुणाल कुमार जैन लाम्बा वालों ने आचार्य श्री के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्वलन एवं पाद प्रक्षालन व शास्त्र भेंट किए। संचालन केसी जैन ने किया। समाज अध्यक्ष महावीर मित्तल ने बताया कि मुनि संघ के सानिध्य में प्रातः जिनाभिषेक, शांति धारा, दैनिक पूजन एवं धार्मिक क्रियाओं का आयोजन हुआ। शाम को आरती एवं मुनि संघ द्वारा धर्म चर्चा की गई। मित्तल के अनुसार मंदिर परिसर में प्रतिदिन सुबह 8.30 बजे से धर्मोपदेश प्रवचन एवं रविवार को मध्यान्ह 3 बजे विशेष धर्म सभा का कार्यक्रम होगा।

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