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सत्य को प्रताड़ित किया जा सकता है, पराजित नहीं-मुनि अनुपम सागर

केकड़ी: घण्टाघर स्थित आदिनाथ मंदिर में प्रवचन करते मुनिराज।

केकड़ी, 30 जुलाई (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन मुनि अनुपम सागर महाराज ने कहा कि सच्चे साधु की पहचान उनके तप, त्याग, चरित्र व आचरण से होती है। आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए ध्यान, तप व सामायिक रूपी अग्नि में प्रवेश करना पड़ता है। वे घण्टाघर स्थित आदिनाथ मंदिर में सत्यार्थ बोध पावन वर्षा योग के अवसर पर प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शरीर और आत्मा भिन्न है। किसी भी वस्तु एवं पदार्थ में से उसके सार को निकालने की विधि आनी चाहिए। कोई भी सत्य को प्रताड़ित तो कर सकता है, लेकिन उसे पराजित नहीं कर सकता है। समय कभी भी एक सा नहीं होता है, लेकिन व्यक्ति भ्रम में ही जीवन जी रहा है। इंसान को अपने भितर छिपी इच्छा शक्ति को पहचान कर उसे जाग्रत करने का प्रयास करना चाहिए। यदि ऐसा करने का मन में ठान लो तो वह स्व कल्याण कर सकता है।

मुनि संघ को भेंट किए शास्त्र धर्मसभा की शुरुआत में बिरदीचद, पदम कुमार, मोनू कुमार, अंकित कुमार मंगल मेंहरूकला वालों ने आचार्य श्री के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्वलन एवं पाद प्रक्षालन व शास्त्र भेंट किए। दिलीप जैन ने बताया कि इस मौके पर भिंड, सराहनपुर आदि स्थानों से आए श्रावक श्राविकाएं मौजूद रहे। संचालन केसी जैन ने किया। समाज अध्यक्ष महावीर मित्तल ने बताया कि मुनि संघ के सानिध्य में प्रातः जिनाभिषेक, शांति धारा, दैनिक पूजन एवं धार्मिक क्रियाओं का आयोजन हुआ। शाम को आरती एवं मुनि संघ द्वारा धर्म चर्चा की गई। मित्तल के अनुसार मंदिर परिसर में प्रतिदिन सुबह 8.30 बजे से धर्मोपदेश प्रवचन एवं रविवार को मध्यान्ह 3 बजे विशेष धर्म सभा का कार्यक्रम होगा।

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