Wednesday, October 15, 2025
Homeधर्म एवं संस्कृतिधर्म खींचने का नहीं खींचे चले आने का उपक्रम, सद्गुरु देते है...

धर्म खींचने का नहीं खींचे चले आने का उपक्रम, सद्गुरु देते है सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा

केकड़ी (आदित्य न्यूज नेटवर्क) दिगम्बर जैन आचार्य शांतिसागर महाराज की परंपरा के षष्ठम पट्टाचार्य, अभिनंदन सागर महाराज के शिष्य एवं प्रखर वक्ता आचार्य अनुभव सागर महाराज ने कहा कि जहां पर विश्वास पक्का होता है, वहां विश्वास के परिणति स्वरूप आचरण भी दिखाई देता है। अगर हमारा विश्वास आचरण के रूप में नहीं बदलता तो विश्वास ऐसा ही है जैसे किसी डॉक्टर पर भरोसा तो हो परंतु उसकी दी हुई दवाई का सेवन ही ना किया जाए। दवाई पर विश्वास मात्र निरोग नहीं कर सकता बल्कि दवाई का सेवन ही विश्वास को उन्नत कर सकता है। वे बोहरा कॉलोनी स्थित नेमीनाथ मंदिर में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे गुरुदेव ने उपदेश देने कहा था आदेश नहीं, अतः हम किसी को किसी भी त्याग या नियम के लिए बाध्य नहीं करते। जैसे अंडे को फोड़ दिया जाए तो उसके अंदर के जीव का मरण निश्चित है, जबकि अगर अंडा वक्त पर स्वयं टूटता है तो जीवन का प्रारंभ होता है। उपदेश उसके फूटने का निमित्त बन सकता है। परंतु आदेश तो ऐसे समय में उसे नष्ट ही कर देता है। धर्म वस्तुतः खींचने का नहीं खींचे चले आने का उपक्रम है। सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा सद्गुरु के माध्यम से ही प्राप्त हो सकती है। ऐसे में उपदेशों को अवश्य सुनना चाहिए, भले परिवर्तन हो या ना हो। क्या पता कब कौन सी बात हमारे हृदय और जीवन के परिवर्तन का कारण बन जाए। मीडिया प्रभारी रमेश बंसल ने बताया कि इस मौके पर मंदिर समिति अध्यक्ष अमरचंद चौरुका व मंत्री भागचंद जैन समेत कई श्रद्धालु मौजूद रहे। पारस कुमार जैन ने बताया कि बोहरा कॉलोनी स्थित नेमिनाथ मंदिर में नियमित रूप से प्रवचन आदि का आयोजन हो रहा है।

RELATED ARTICLES