केकड़ी, 30 अगस्त (आदित्य न्यूज नेटवर्क): चंद्रप्रभु चैत्यालय में वर्षायोग के लिए विराजित मुनि सुश्रुत सागर महाराज एवं क्षुल्लक सुकल्प सागर महाराज के स्वानुभव वर्षायोग की आमंत्रण पत्रिका का विमोचन बुधवार को संरक्षक कैलाश चंद सोनी, मंत्री कैलाश चंद सोनी मेवदा, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र गदिया, प्रवक्ता नरेश जैन, भंवरलाल टोंग्या, पदम कुमार कटारिया प्रान्हेड़ा, मनोज पाण्ड्या, महावीर टोंग्या, अरिहंत बज, विनय पाण्ड्या आदि ने किया। शुरुआत में संघ के सदस्यों ने मुनिश्री को श्रीफल समर्पित किया तथा मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। रक्षाबंधन पर्व पर वात्सल्य विधान मंडल का आयोजन किया गया। श्रावक—श्राविकाओं ने विधान मण्डल पर मुनिराज विष्णु कुमार द्वारा सात सौ मुनियों की रक्षा करने पर सात सौ श्रीफल अर्घ्य समर्पित किए। कलशाभिषेक व शांतिधारा के बाद जिनेन्द्र भगवान की अष्टद्रव्यों से पूजा की गई।
प्रमुख जानकारियों का समावेश आमंत्रण पत्रिका में नगर के सभी आठों दिगम्बर जैन मंदिरों के मूलनायक भगवान एवं नगर के आध्यात्मिक गौरव जिन्होंने घर का त्याग कर मुनि दीक्षा, आर्यिका दीक्षा, ऐलक, क्षुल्लक या क्षुल्लिका की दीक्षा ग्रहण की है, उनकी जानकारी पत्रिका में प्रकाशित की गई है। इसी के साथ पत्रिका में वर्षायोग के दौरान आयोजित होने वाले प्रमुख पर्व, संघ की दैनिक चर्या, नगर के निकटतम आयोजित चातुर्मास, वर्षायोग मंगल कलश स्थापना करने वाले परिवारों सहित कई अन्य जानकारियों का समावेश किया गया है। इस दौरान गुरु पूजा आरती संग्रह नामक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। पुस्तिका में आचार्य सुनील सागर महाराज की पूजन, पूर्व आचार्यों के अर्घ्य सहित मुनि सुश्रुत सागर महाराज की पूजन एवं आरती का समावेश किया गया है। मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पूजन की रचना राजमहल हाल मंगल विहार कॉलोनी केकड़ी निवासी नीता—नरेन्द्र कटारिया की पुत्री अर्तिका कटारिया ने की है।
केकड़ी: मुनिश्री के पाद प्रक्षालन करते बज परिवार के सदस्य।
जैन धर्म शाश्वत धर्म प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि जैन धर्म शाश्वत धर्म है। इसको मानने वाले संख्या की दृष्टि से कम है। लेकिन जिन शासन के सिद्धांत त्रैकालिक है। रक्षाबंधन पर्व पर बोलते हुए मुनिश्री ने कहा कि मुनि विष्णु कुमार ने आज ही के दिन अकंपनाचार्य आदि सात सौ मुनियों की राजा बाली द्वारा किए जा रहे उपसर्ग से रक्षा की थी। तभी से रक्षाबंधन पर्व को “वात्सल्य दिवस” के रूप में मनाया जा रहा है। प्रवचन सभा से पहले चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन का लााभ प्रकाशचंद कैलाशचंद बज परिवार को मिला। इस दौरान ग्यारहवें तीर्थंकर भगवान श्रेयांसनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव विविध आयोजनों के साथ मनाया गया। श्रावक श्राविकाओं ने समवेत स्वर में निर्वाण कांड का सामूहिक पाठ किया तथा भगवान श्रेयांसनाथ को निर्वाण लाडू समर्पित किया।