केकड़ी, 25 नवम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ केकड़ी के तत्वावधान में आयोजित अंजनशलाका, प्रतिष्ठा एवं दीक्षा महोत्सव के दौरान शुक्रवार को पार्श्वनाथ भगवान का जन्म कल्याणक महोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया। खरतरगच्छ आचार्य पीयूषसागर सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा 13, साध्वी शुभदर्शना आदि ठाणा 03, साध्वी प्रभंजना आदि ठाणा 04 एवं साध्वी अतुलप्रभा आदि ठाणा 03 के पावन सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुबह बघेरा रोड स्थित दादाबाड़ी परिसर में नवनिर्मित शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के नूतन जिनालय में बैंगलुरु के तुषार गुरुजी के दिशा निर्देशन में जन्म कल्याणक विधान का आयोजन हुआ।
इन्द्र का आसन हुआ कम्पायमान वाराणसी नगरी के विशाल राजदरबार में मुनि सम्यकरत्न सागर महाराज ने जन्म कल्याण विधान की विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत की। इसके बाद सुप्रसिद्ध संगीतकार नरेन्द्र वाणीगोता निराला के निर्देशन में जन्मकल्याण महोत्सव, 56 दिक्कुमारी द्वारा सुतिकर्म, इन्द्रासन कम्पायमान, हरिणगमेषी देव द्वारा घंटानाद आदि प्रसंगों का जीवंत मंचन किया गया।
56 दिक्कुमारिकाओं ने किया आकर्षक नृत्य इसके बाद सुमेरू पर्वत पर 64 इन्द्रों द्वारा प्रभु के 250 अभिषेक किए गए। भगवान के जन्मकल्याण विधान के दौरान 56 दिक्कुमारिकाओं द्वारा आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर होकर झूम उठे। दोपहर में शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय में अठारह अभिषेक का आयोजन किया गया।
भजन संध्या का आयोजन गुरुवार रात्रि को महोत्सव स्थल पर भक्ति संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें इन्दौर के लवेश बुरड़ एवं हिमांशु बुरड़ ने दादा का दरबार सुहाना लगता है…, एलान कर रहा हूं डंके की चोट पे, मंदिर बनेगा दादा का हर एक मोड़ पे…., मेरे सिर पर रख दो दादा अपने ये दोनों हाथ, देना है तो दिजीए जन्म-जन्म का साथ…, जिन के सिर पर पार्श्व प्रभु का हाथ है…, प्रभु से निगाहें मिलाने को दिल चाहता है…, जब कोई नहीं आता मेरे प्रभुवर आते है, मेरे दुख: के दिनों में ये बड़े काम आते है…, झीनो-झीनो उड़े रे गुलाल… सहित कई भजन प्रस्तुत कर समां बांध दिया।
धूमधाम से मनाएंगे जन्म कल्याणक महोत्सव मीडिया प्रभारी नीरज लोढ़ा ने बताया कि शनिवार को सुबह मंदिर परिसर में विधान के कार्यक्रम होंगे। नौ बजे से वाराणसी नगरी के राज मंच पर प्रियंवदा दासी द्वारा बधाई, भुआ—भूरोसा का आगमन, प्रभु का नामकरण विधान, बाल प्रभु का पालना झूलाना, सूर्य व चन्द्र दर्शन, प्रभु पाठशाला गमन, शिक्षक द्वारा प्रभु से क्षमायाचना आदि का कार्यक्रम होगा।
नवलोकांतिक देवों का होगा आगमन बाद में सगाई रस्म, मामा—मामी द्वारा मायरा आगमन, प्रभु बारात प्रस्थान, प्रभु पोखना विधि, लग्न फेरा, बारात विदाई, बहन द्वारा राजतिलक, राज पंडित द्वारा राज्याभिषेक, नवलोकांतिक देवों का आगमन व संयम ग्रहण करने की विनंती आदि कार्यक्रमों का जीवंत मंचन किया जाएगा। रात्रि में संगीत सम्राट दिलीप बाफना द्वारा एक जन्मयो राज दुलारो नृत्य एवं प्रभु भक्ति का अनुपम कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
