जिसके प्रति होती है विशेष प्रीति, उसी के प्रति होता है अनुराग— मुनि अनुपम सागर महाराज

केकड़ी: धर्मसभा की शुरुआत में दीप प्रज्जवलन करते लाभार्थी परिवार के सदस्य।

केकड़ी, 27 अगस्त (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन संत अनुपम सागर महाराज ने कहा कि प्राणी की जिसके प्रति विशेष प्रीति होती है, उसके प्रति ही उसका अनुराग होता है। जिस किसी का भी वह उपासक होता है, वह उसकी ही आराधना करता है। वे घण्टाघर स्थित आदिनाथ मंदिर में सत्यार्थ बोध पावन वर्षा योग के अवसर पर प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आराधना किसी की भी हो लेकिन भक्ति एवं समर्पण इतना होना चाहिए कि प्रभु घट में विराज जाए। हम पूजा तो करते हैं, लेकिन जिसकी पूजा करते है उसकी प्रतिमा को देखकर उन जैसी कृति-प्रति बनने का अभ्यास नहीं करते है।

मुनि संघ को भेंट किए शास्त्र मुनिश्री ने कहा कि केवल द्रव्य से प्रभु की पूजा करने से सफलता प्राप्त नहीं होती है। उसके प्रति आस्था, निष्ठा व समर्पण भाव से भक्ति आराधना करनी चाहिए। यदि हमें बहुत कुछ पाना है तो कुछ तजना भी पड़ेगा। मीडिया प्रभारी रमेश जैन ने बताया कि आचार्यश्री का चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट का लाभ  कैलाश चंद, शुभम कुमार सोनी मेवदा वालों ने प्राप्त किया। धर्मसभा का संचालन के.सी. जैन ने किया।