Sunday, March 16, 2025
Homeसमाजराजसी ठाठ से निकली नेमीकुमार की बारात, भव्यता देख दंग रह गए...

राजसी ठाठ से निकली नेमीकुमार की बारात, भव्यता देख दंग रह गए शहरवासी, ‘राग से वैराग’ की ओर नाटिका के जीवंत मंचन में श्रद्धा व भक्ति से ओतप्रोत हुए श्रद्धालु

केकड़ी, 29 सितम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ के वैराग्य से पूर्व उनके विवाह के लिए निकली उनकी बारात की भव्यता ने शहर के लोगों को दंग कर दिया। प्रागैतिहासिक काल में राजा महाराजाओं के विवाह समारोहों व बारात के असाधारण व अतिभव्य प्रसंगों के अनुरूप प्रस्तुत किए गए इस कार्यक्रम ने देखने वालों को अभिभूत कर दिया। विविध प्रकार के संगीत व नृत्य प्रस्तुत करते हुए कलाकारों के साथ घोड़ों से जुती एक दर्जन बग्गियों व भगवान के रथ सहित भारी भरकम लवाजमे के साथ निकली नेमीकुमार की यह बारात जब शहर के प्रमुख बाजारों व रास्तों से गुजरी तो उसकी लम्बाई इतनी थी कि उसका एक छोर से दूसरा छोर ही दिखाई नहीं दिया।

केकड़ी: राग से वैराग की ओर नाटिका के दौरान मौजूद पुरूष वर्ग।

केकड़ी: राग से वैराग की ओर नाटिका के दौरान मौजूद महिला वर्ग।

पुष्पवर्षा से किया स्वागत श्री जैन श्वेतांबर तपागच्छ संघ के तत्वावधान में जैन साध्वी सौम्य प्रभा, साध्वी सौम्य दर्शना, साध्वी अक्षय दर्शना एवं साध्वी परम दर्शना के पावन सानिध्य में निकली नेमीकुुमार की बारात का शुभारम्भ सब्जी मण्डी स्थित आराधना भवन से हुआ। बारात चन्द्रप्रभु मंदिर, घण्टाघर, अजमेरी गेट, अस्पताल रोड, बड़ पीपलेश्वर महादेव मंदिर, खिड़की गेट, पटवार घर, सदर बाजार, घण्टाघर, लक्ष्मीनाथ मंदिर, देवगांव गेट होते गोशाला सत्संग भवन पहुंची। इस दौरान बारात का दिगम्बर जैन चन्द्रप्रभु चैत्यालय सहित शहर के दर्जनों स्थानों पर श्रद्धालुओं द्वारा पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।

केकड़ी: नेमीकुमार की बारात के दौरान कुचिपुड़ी नृत्य करते कलाकार।
केकड़ी: नेमीकुमार की बारात के दौरान कच्छी घोड़ी नृत्य करते कलाकार।

आकर्षण का केन्द्र बारात के लवाजमे में नेमीनाथ भगवान का रथ, सुसज्जित बग्घियों में परिवार के साथ उनके पिता महाराजा समुद्र विजय व राजा उग्रसेन, गोपियों व रानियों के साथ श्रीकृष्ण, मित्रों के साथ दूल्हा राजकुमार नेमीकुमार, सखियों के साथ दुल्हन राजकुमारी राजुल, मंत्री, राज ज्योतिषी, सेनापति, महापुरुषों की वेशभूषा में सुसज्जित बालक, सोलह सतियां, विभिन्न वेशभूषा में सुसज्जित बाराती, रंगोली, कुचीपुड़ी नृत्य, बैनर, इन्द्रध्वजा, ध्वजपताका धारण कर दो अश्वरोही, कच्छी घोड़ी नृत्य, अलगोजा मंडली, मंगल कलश, जैन ध्वज लेकर महिलाएं, बच्चों द्वारा घोष वादन, सुप्रसिद्ध बैण्ड, वीरमगाम  की शहनाई, साध्वी मण्डल, ढोल, परमात्मा का रथ आदि मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहे।

केकड़ी: नेमीकुमार की बारात में शामिल सोलह सतियां।

केकड़ी: नेमीकुमार की बारात में शामिल कुमारिकाएं।
श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर के सामने लगाया गया विशालकाय बैनर।

भव्य अगवानी की श्री शीतलनाथ नवयुवक मण्डल की ओर से लक्ष्मीनाथ मंदिर के सामने क्रेन की सहायता से नेमीनाथ भगवान के 25 गुणा 10 फीट के बैनर का अनावरण किया गया। मुख्य कार्यक्रम स्थल गौशाला सत्संग भवन पहुंचने पर नेमीकुमार की बारात का साध्वी सौम्य प्रभा की अगुवाई में समाज के सैकड़ों महिला पुरुषों आबाल वृद्धों ने मोतियों की माला, रत्नों के तिलक एवं सुगंधित व सुवासित प्रसाधनों से भव्य स्वागत किया गया। यहां तत्कालीन रीति रिवाजों के अनुसार वधूपक्ष की ओर से दूल्हे बने नेमीकुमार व उनकी बारात की अगवानी की क्रियाएं की गई।

केकड़ी: नेमीकुमार की बारात में शामिल सोलह सतियां।
केकड़ी: नेमीकुमार की बारात में शामिल श्राविकाएं।

नाटिका ने मोहा मन इसके बाद यहां श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पांडाल में नेमीनाथ भगवान के जीवन वृत से संबंधित नाटिका का मंचन किया गया। जिसमे विशेष रूप से कृष्ण की गोपियों के साथ नेमीकुमार की जलक्रीड़ा और नेमी को विवाह के लिए तैयार करना। समुद्र विजय राजा द्वारा विवाह की तैयारियां करवाना, देवर भाभी का संवाद और उग्रसेन राजा की पुत्री राजकुमारी राजुल के साथ संबंध तय होना, बारात पहुंच जाने के बाद वहां निरीह पशुओं पर हिंसा का दृश्य देखना, तभी वैराग्य धारण कर राजकुमार नेमीकुमार का विवाह मंडप से तपस्या के लिए गिरनार पर्वत की ओर प्रस्थान करना, उग्रसेन राजा व माता धारिणी के द्वारा नेमी को समझाना एवं राजुल का विलाप आदि दृश्यों का जीवंत मंचन किया गया।

केकड़ी: नेमीकुमार की बारात में शामिल श्राविकाएं।

केकड़ी: बारात में घोष वादन करते छोटे छोटे बच्चे।

बिखेरी संगीत की स्वर लहरिया नाटिका मंचन के दौरान बीकानेर के अजय सिंह ने सुमधुर भजनों की स्वर लहरियां बिखेरी। मंच संचालन बीकानेर के जीतू कोचर ने किया। इस मौके पर रूपचन्द महावीर प्रसाद खटोड़ भिनाय, ज्ञानचन्द मुकेश कुमार धूपिया कादेड़ा, मनोज कुमार पुनीत कुमार सेठी गुलाबपुरा एवं टीकमचन्द निहालचन्द पाड़लेचा पाड़लिया अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। राजेन्द्र धूपिया, लालचन्द ताथेड़, राजेन्द्र कोठारी, लाभचन्द धूपिया, खेमचन्द ताथेड़, सुरेन्द्र धूपिया व अशोक लोढ़ा आदि ने अतिथियों का माल्यार्पण, साफा बंधन एवं शोल ओढ़ाकर अभिनन्दन किया।

केकड़ी: नेमीकुमार की बारात में शामिल बग्घियां।
केकड़ी: नेमीकुमार की बारात में शामिल बग्घियां।

ये बने लाभार्थी नाटिका में नेमीकुमार बनने का सौभाग्य अमित चौरड़िया एवं उनके माता पिता बनने का सौभाग्य रेशमा सिंघवी व जितेन्द्र सिंघवी, राजुल बनने का सौभाग्य दीपशिखा चौरड़िया एवं उनके माता पिता बनने का सौभाग्य सरोज धम्माणी व महेन्द्र धम्माणी, श्रीकृष्ण बनने का सौभाग्य अंकिता ताथेड़, महामंत्री बनने का सौभाग्य नवीन ताथेड़ एवं राज ज्योतिषी बनने का सौभाग्य अतुल धूपिया ने प्राप्त किया। नेमीकुमार की भव्यातिभव्य बारात का सौभाग्य जितेन्द्र कुमार, जतिन कुमार, अभिनव कुमार सिंघवी परिवार को प्राप्त हुआ। सुबह की नवकारसी सुभाष चन्द अमित कुमार चौरड़िया एवं गौतम प्रसादी का लाभ रिखबचन्द महेन्द्र कुमार धम्माणी ने प्राप्त किया।

केकड़ी: नेमीकुमार की बारात में शामिल जिनेन्द्र भगवान का रथ।
केकड़ी: नेमीकुमार की बारात में शामिल बग्घियां।

शामिल हुए हजारों श्रद्धालु शुरुआत में भगवान को पूगने का लाभ विजय सिंह अशोक कुमार धूपिया कादेड़ा, द्वारिका नगरी का उद्घाटन का लाभ खेमचन्द लोढ़ा (सोनू) एवं ध्वजारोहण का लाभ ​टीकमचन्द निहाचन्द पाड़लेचा को प्राप्त हुआ। आयोजन में श्वेताम्बर जैन समाज एवं दिगम्बर जैन समाज के विभिन्न मंडलों, महिला मण्डलों, नवयुवक मण्डलों एवं सामाजिक संगठनों ने विशेष सहयोग किया। कार्यक्रम में बीकानेर, सरवाड़, अजमेर, बिजयनगर, भीलवाड़ा, ब्यावर, गंगापुर सिटी, नागौर, गुलाबपुरा, ​हिण्डौन सिटी, भिनाय, सावर, सदारा, पारोली, कादेड़ा, टोड़ारायसिंह सहित विभिन्न स्थानों से आए श्रद्धालु मौजूद रहे।

“राग से वैराग” कैमरे की नजर से…

केकड़ी: राग से वैराग की ओर नाटिका के दौरान मौजूद साध्वी मण्डल।
केकड़ी: राग से वैराग की ओर नाटिका के दौरान मौजूद पुरूष वर्ग।
केकड़ी: राग से वैराग की ओर नाटिका के दौरान मौजूद महिला वर्ग।
केकड़ी: नाटिका के दौरान सजा राज दरबार।
केकड़ी: राजदरबार में नृत्य करती रानियां।
केकड़ी: श्रीकृष्ण के समक्ष बाहुबल का प्रदर्शन करते नेमीकुमार।
केकड़ी: राग से वैराग की ओर नाटिका के दौरान महाराज समुद्र विजय की अगवानी करते महाराज उग्रसेन।
केकड़ी: सखियों के साथ वार्तालाप करती राजुल।
केकड़ी: वैराग्य लेने का निर्णय करने पर नेमीकुमार को समझाते उनके माता पिता।
केकड़ी: नेमीकुमार को संयम लेने का आग्रह करते नवलोकांतिक देव।
केकड़ी: बारात वापस लौटने पर विलाप करती राजुल।
RELATED ARTICLES