केकड़ी, 11 मई (आदित्य न्यूज नेटवर्क): राजस्थान सरकार ने ई-फाइलिंग सिस्टम में प्रदेश के 47 जिलों के कलेक्टरों की रैंकिंग जारी की है। सूची के अनुसार फाइलों का तेज गति से निपटारा करने में केकड़ी जिला कलक्टर श्वेता चौहान टॉप-10 में जगह बनाने में कामयाब रही है। दसवीं रैंक पर रही चौहान अपने कार्यालय में आने वाली एक फाइल एक घण्टा 8 मिनट में निपटा रही है।
टॉप-10 में 7 कलक्टर नवगठित जिलों के राजस्थान में नवगठित जिलों में तैनात कलेक्टर सबसे तेज गति से फाइलों का निपटारा कर रहे हैं। टॉप-10 जिलों में पहली बार जिला बने 7 जिले सलूंबर, शाहपुरा, सांचोर, गंगापुर सिटी, ब्यावर, खैरथल-तिजारा व केकड़ी एवं पुराने 3 जिले जयपुर, कोटा व डूंगरपुर शामिल है। इनमे सलूंबर, शाहपुरा व सांचोर पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर है। सूची के अनुसार राजसमंद, बीकानेर और चित्तौड़गढ़ रेड लिस्ट में शामिल है। यहां राजसमंद जिला कलक्टर भंवरलाल 13 घंटा 22 मिनट, बीकानेर जिला कलक्टर नमृता वृष्णि 15 घंटा 2 मिनट और चित्तौड़गढ़ जिला कलक्टर आलोक रंजन 22 घंटा 22 मिनट का समय लेकर एक फाइल निपटा रहे हैं।
टॉप-10 में शामिल जिला कलक्टर टॉप-10 सूची में पहले स्थान पर रहे सलूंबर जिला कलक्टर जसमीत सिंह संधू 11 मिनट में, दूसरे स्थान पर रहे शाहपुरा जिला कलक्टर राजेन्द्र सिंह शेखावत 21 मिनट में, तीसरे स्थान पर रहे सांचोर जिला कलक्टर शक्ति सिंह राठौड़ 45 मिनट में, चौथे स्थान पर रहे जयपुर जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित 53 मिनट में, पांचवे स्थान पर रहे गंगापुर सिटी के जिला कलक्टर गौरव सैनी 56 मिनट में, छठे स्थान पर रहे ब्यावर के जिला कलक्टर उत्सव कौशल 59 मिनट में, सातवें स्थान पर रहे कोटा के जिला कलक्टर रविन्द्र गोस्वामी 1 घण्टा 1 मिनट में, आठवें स्थान पर रहे डूंगरपुर के जिला कलक्टर अंकित कुमार सिंह 1 घण्टा 5 मिनट में, नौवें स्थान पर रही खैरथल—तिजारा की जिला कलक्टर अर्तिका शुक्ला 1 घण्टा 5 मिनट में एवं दसवें स्थान पर रही केकड़ी जिला कलक्टर श्वेता चौहान 1 घण्टा 8 मिनट में एक फाइल का निपटारा कर रही है।
क्या है ई-फाइलिंग सिस्टम ई-फाइलिंग सिस्टम के तहत कोई भी अधिकारी खासकर जिला कलेक्टर किसी फाइल को कब तक बिना फैसला किए खुद के पास रोकता है, इस बात की जानकारी मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को सीधे तौर पर पहुंचती है। किस अधीनस्थ अधिकारी ने कितने बजे जिला कलक्टर को फाइल भेजी व यहां से वापस कितने बजे निकली, इसका समय और तारीख दोनों सिस्टम पर दर्ज होती है। अगर कोई अधिकारी लेटलतीफी करता है, तो इसे कम्प्यूटर के जरिए सत्यापित किया जा सकता है।
इनका कहना है केकड़ी जिला कलक्टर श्वेता चौहान का कहना रहा कि फाइलों को रोकना, बेवजह ज्यादा समय तक दबाए बैठे रहना और उन पर समय पर निर्णय नहीं करना उचित नहीं है। फाइलों के निस्तारण में तेजी लाने से लोगों को सीधे राहत मिलती है। फाइलों पर फैसले तेज गति से नहीं होने पर लोगों के काम अटके रहेंगे।