केकड़ी, 05 दिसम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): अजमेर की पॉक्सो कोर्ट ने 16 साल की नाबालिग से रेप के आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई है। आरोपी को एक लाख 55 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है। आरोपी पीड़िता का रिश्ते में लगने वाला भाई है। उसने बुआ के बीमार होने का कहकर पीड़िता को अस्पताल नहीं ले जाकर अलग-अलग जगह पर ले गया और दुष्कर्म किया था। पॉक्सो कोर्ट 1 के सरकारी वकील रूपेंद्र परिहार ने बताया कि 17 जुलाई 2023 को 16 वर्षीय पीड़िता के परिवार ने केकड़ी शहर थाने में शिकायत दी थी।
क्या है मामला शिकायत में बताया कि 15 जुलाई को रात्रि में 8 बजे वह बाजार में दुकान पर सामान लेने गई थी लेकिन वह 2 घंटे बाद भी नहीं पहुंची। जिसकी तलाश की गई लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। इस बीच सूचना मिली की एक युवक उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी। सरकारी वकील रूपेंद्र परिहार ने बताया कि पुलिस थाना केकडी शहर ने नाबालिग पीड़िता को दस्तयाब कर 161 और 164 के बयान करवाए।
अलग अलग स्थानों पर किया दुराचार बयानों में पीड़िता ने बताया कि आरोपी उसे रास्ते में मिला और बुआ बीमार है और उसे अस्पताल में मिलवा कर लाने की कहकर अपने विश्वास में ले लिया। मोटरसाइकिल पर बैठ कर आरोपी उसे अस्पताल नहीं ले जाकर खेत में और जयपुर के बाद अलग-अलग स्थान पर ले गया। जहां उसने उसके साथ रेप किया। पीड़िता के बयानों के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार कर आरोपी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया गया।
20 साल की सुनाई सजा रूपेंद्र परिहार ने बताया कि गुरुवार को मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से 13 गवाह और 25 दस्तावेज पेश किए गए। डीएनए और एफएसएल रिपोर्ट में पीड़िता से दुष्कर्म की पुष्टि हुई। जिसके आधार पर न्यायालय ने आरोपी को 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही आरोपी पर 155000 रुपए का आर्थिक दंड लगाया है।
नहीं अपनाया जा सकता नरमी का रूख न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए लिखा कि 16 साल की नाबालिग बालिका को उसके माता-पिता कि बिना सहमति के बहला-फुसलाकर अपहरण कर ले गया। 10 दिन से अधिक तक उसके साथ रेप किया गया। आरोपी रिश्ते में पीड़िता का भाई होकर नातेदार है, उसकी अपनी माता बीमार होने का वह अस्पताल में भर्ती होने का कहकर धोखे में रखकर उसका विश्वास तोड़ा और भाई बहन के पवित्र रिश्ते को शर्मसार किया। ऐसे अपराध के विरुद्ध नरमी का रूप अपनाया जाना प्रतीत नहीं होता।