केकड़ी, 26 अगस्त (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन संत अनुपम सागर महाराज ने कहा कि जिन्दगी आप भी जी रहे हो और जिन्दगी हम भी जी रहे है लेकिन हमारी जिन्दगी एवं आपकी जिन्दगी में कितना बड़ा अन्तर है। आपने भी लेनदेन किया, हमने भी लेनदेन किया, लेकिन हमने सब कुछ पा लिया और आपने पाकर भी खो दिया। वे घण्टाघर स्थित आदिनाथ मंदिर में सत्यार्थ बोध पावन वर्षा योग के अवसर पर प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो आपने पाया वो पाने योग्य नहीं था और जो पाना था उसको खो दिया। रास्ता हम दिखा रहे है, आपको रास्ता दिख भी रहा है लेकिन उस रास्ते पर चल नहीं रहे हो।
पाद प्रक्षालन कर लिया आशीर्वाद मुनिश्री ने कहा कि आपने जिस सामग्री से सुख की अभिलाषा चाही, कि इसमें सुख मिलेगा, क्या आप उसमें सुख पा रहे हो। जिस क्षणिक सुख के लिए अपनी चाहना रख रहे है, वो क्षणिक सुख ही दिव्यकाल के लिए दुःख बनके खड़ा हो गया है। आज अपनी भूल को सुधारना है और जिन्होंने अपनी भूल सुधारी उनके बारे में समझना है। मीडिया प्रभारी रमेश जैन ने बताया कि आचार्यश्री का चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट का लाभ महावीर प्रसाद, दिलीप कुमार, अशोक कुमार, सुमित, अक्षत मंगल परिवार गुलगांव वालों ने प्राप्त किया। धर्मसभा का संचालन के.सी. जैन ने किया।